हिन्दी कवि सम्मेलनों के प्रसिद्ध और लोकप्रिय कवि श्री सुरेन्द्र दुबे जी का आज फिर फ़ोन आया जयपुर से । मेरे मित्र हैं और उनका विकट आत्मीय आग्रह है की उनकी शीघ्र प्रकाश्य पत्रिका ,जो की "कवि सम्मेलन" के प्रति समर्पित है , के लिए लेख / कॉलम नियमित रूप से लिखूं । अब तो उनके आग्रह की टेलीफोनिक दस्तक इतनी नियमित हो गई है कि उसकी थाप सीधे दिल पर पड़ने लगी है । बकौल दुष्यंत कुमार जी ....

" दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा जरूर ,

हर हथेली खून से तर और जियादा बेकरार !"

और जब दिल के दरवाजे पर आकर कोई अपना मित्र आवाज दे तो भला कैसे और कितनी देर चुप रहा जा सकता है ? लेकिन मित्रवर अब मैं ये कैसे आपको समझाऊं कि

" मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए '.........

अब न तो कवि सम्मेलनों से वैसा सतत सम्पर्क रहा और न लेखन से । जिन्दगी आजकल जिस धारा में बह रही है उसमें कविता , कवि सम्मेलन , लेखन आदि सब नेपथ्य में चले गए हैं । " फुरसत ही नही इन हाथों को अब चाक गरेबां कौन करे "

लेकिन बन्धुवर दुबे जी इन पंक्तियों को लिखते हुए ये प्रश्न जरूर उठ रहा है कि आख़िर ३०-३५ बरस पहले कि वो दीवानगी कहाँ और कैसे गुम हो गई कि जब ग्वालियर शहर से १०० किलोमीटर की परिधि में होने वाला कोई भी कवि सम्मेलन शायद ही छुटता हो ।

कवि सम्मेलन का क्या अद्भुत रोमांच था ! कितनी छुट्टियाँ कवि कविसम्मेलनों के नाम लिखी हैं ! अपनी " येज़दी " मोटर साइकिल पर एक टेप रिकॉर्डर और कोई एक कविता प्रेमी मित्र को साथ लेकर न जाने कितनी रोमांचक और अविस्मरणीय यात्राएं की हैं !

डॉ .राकेश भटनागर , श्री गंभीर सिंह, श्री शिव कुमार गोयल "गुच्चू भाई ', बसंत पाराशर आदि मित्र मेरी इस दीवानगी के संगी साथी सहयोगी और साक्षी रहे हैं ।

आज पंडित दुबे जी जब स्मृति के सरोवर में अपने आग्रह का कंकर आपने फेंका है तो अभिभूत करने वाले उन निश्चिंत और मीठे दिनों की मनोरम छबियाँ उभर रहीं हैं , और इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ दिल से !

Comments

प्रियवर
मैं भी बहुत सी यादें लेकर जी रहा हूं। बड़े कवियों ने कहा तो नहीं पर सच ये रहा कि किनारा कर गये । एक तो ये तक कह गये । यार ये ज्‍यादा अच्‍छी कविताएं लिखता है ऐसे कवि को साथ रख कर तो अपना ही मार्किट खराब हो जायेगा। आपको कम से कम निमंत्रण तो मिला है । बधाई हो।
pallavi trivedi said…
हम तो कभी किसी कवी सम्मेलन में गए नहीं...इसलिए उसका क्या रोमांच होता है कह नहीं सकते..लेकिन आप अपने मित्र का आग्रह जरूर स्वीकार करिये और उनके लिए कॉलम लिखिए..

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