गो राहे शौक पे जाना बहुत जरूरी है ,
सफर में साथ सुहाना बहुत जरूरी है !
नज़र में आपकी बेशक हों आसमान मगर ,
ज़मीं पे पांव जमाना बहुत ज़रूरी है !
मोहब्बतों का है हासिल फरेब , फिर भी तो ,
बज्मे अहबाब सजाना बहुत ज़रूरी है !
सफर की हद हो जब अपनी निगाह ज़द में ,
तो मंजिलों को बढ़ाना बहुत ज़रूरी है !
नसीहतों की जो पाबंदियाँ हैं गिर्द मेरे ,
अब उनसे आँख चुराना बहुत ज़रूरी है !
गर्दिशे जीस्त भुलाने के लिए ऐ यारो ,
ग़ज़ल का एक तराना बहुत ज़रूरी है !
डॉ. ब्रजेश शर्मा
Comments