माना तनहाई में घबराए बहुत , खुद के भी नजदीक तो आये बहुत ! प्यास की हो जायेगी लंबी उमर , आस के बदल अगर छाये बहुत ! तोड़ हम पाए नहीं रिश्तों के भ्रम , श्लोक गीता के तो दोहराए बहुत ! क्या हुआ अब किसलिए खामोश हैं , लोग जो भीडों में चिल्लाये बहुत ! डॉ. ब्रजेश शर्मा
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दिखा के आइना नाहक बवाल कौन करे , ज़मीर ज़िःबह किया अब सवाल कौन करे ? मैं अपने आप से लड़ता हूँ ,हार जाता हूँ , इस हार जीत पे जश्नोमलाल कौन करे ? अपनी खुद्दारी ही दुश्मन है ,भला क्या कीजे , वो मान लेगा मगर अर्ज़े हाल कौन करे ? अपनी परछाई में दिखती हैं दरारें मुझको , अक्स बेजोड़ हो ऐसा कमाल कौन करे ? डॉ .ब्रजेश शर्मा