ज़रूरतें जो हें दरपेश कल के बारे में ,
जनाब सोचिये रद्दोबदल के बारे में !
ये कैसे बुझ गई उसके जुनूं की चिंगारी ,
सहम के सोच रहा है पहल के बारे में !
मेरा ख़ुलूस ही आख़िर मुझे बचायेगा ,
मैं जानता हूँ तुम्हारे शगल के बारे में !
न जाने मुझमें वो क्या क्या तलाश करता है ,
जो पूछता है अधूरी ग़ज़ल के बारे में !
अगर दिमाग से सोचोगे हार जाओगे ,
तुम अपने दिल ही से पूछो ग़ज़ल के बारे में !
डॉ. ब्रजेश शर्मा

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